Love Learning Vs Hate Learning मैंने कक्षा में प्रवेश किया तो बच्चों ने उत्साह के साथ अभिवादन किया और पूछा, मैंम, आज के नए शब्द के लिए कोई संकेत दीजिए। मैं हतप्रभ रह गई कि मेरे इस तरह के प्रयोग करने पर बच्चे इतने प्रभावित हो जाएँगे। मैंने पुनः नए शब्द के आधार पर एक सामान्य ज्ञान का प्रश्न बनाया जिसके तरह-तरह के उत्तर छात्र अपनी-अपनी सोच के आधार पर बता रहे थे। यह, वह समय था जब नए सत्र में मैंने कक्षा की शुरुआत की थी और आज इस सत्र का आखिरी दिन था, मैंने अपनी कक्षा की अवधि पूर्ण की और बाहर निकल आई तभी पीछे से दो बच्चों ने आवाज लगाई, मैंने पीछे मुड़कर देखा और पूछा, “क्या बात है ? उनमें से एक रुँआसा होते हुए पूछा -“मैंम, क्या आप अगली कक्षा में नहीं पढ़ाएँगी¿ मैंने मुस्कुरा कर बोला, “नहीं । तो क्या हुआ, मैं इसी विद्यालय में हूँ जब मुझसे मिलना हो या कुछ भी समस्या हो मेरे पास आ सकते हो। दोनों आश्वस्त हो कर कक्षा में वापस चले गए ।मैं पूरे सत्र का अवलोकन करने लगी जब बच्चे मेरे बोलने के, पढ़ाने के ढंग और मेरे पहनावे को भी बहुत ध्यान से देखते थे,
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Reflection -2 War versus Peace
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" निराशावादी को हर अवसर में कठिनाई दिखाई देती है। आशावादी हर कठिनाई में अवसर देखता है। " मेरा सोचना है कि जब कोई व्यक्ति नई संस्था में जाता है तो उसके मन में थोड़ा भय होता है कि मैं यहाँ के लिए उपयुक्त हूँ या नहीं, या मुझे स्वीकार किया जाएगा कि नहीं और यदि ऐसे में कोई अनुपयुक्त स्थिति उत्पन्न हो जाए तो विश्वास भी थोड़ा हिल जाता है। कुछ ऐसा ही अनुभव मेरे साथ हुआ। मैं जिस विद्यालय में आई थी वहाँ काम करने की कभी कल्पना भी नहीं की थी क्योंकि मैं स्वयं को उस काबिल नहीं समझती थी। परंतु कुछ ऐसी परिस्थितियाँ आईं कि मैं वहाँ तक पहुंच गई। हर तरह के काम करने की चाह मुझे सकारात्मक सोच की तरफ ले जाती कि चलो कुछ तो नया अनुभव होगा और मैंने स्वयं को सिद्ध करने का पूरा प्रयास किया। मैं भाग्यशाली थी कि मेरे प्रयासों का सकारात्मक प्रभाव विद्यालय प्रबंधन पर पड़ा और मैं वहाँ एक अध्यापिका के पद पर नियुक्त हुई। स्वाभाविक रूप से ज्यादातर मनुष्यों के अंदर प्रतिस्पर्धा का भाव रहता है, विकास के लिए आवश्यक भी है परंतु यह भी सच है कि प्रतिस्पर्धा व्यक्तिगत रूप से ज्या