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Showing posts from September, 2024

Right vs Wrong

Right vs wrong  किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जिसमें बच्चों में बहुत सारे बदलाव आते हैं शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक बदलाव, जिसका प्रभाव उनके व्यवहार पर पड़ता है। उनके अंदर जोश उत्साह के साथ कई बार उदासीनता भी आ जाती है जिसे हम अभिभावक नहीं समझ पाते और बच्चों से कह देते हैं कि तुम्हारी संगत ठीक नहीं जबकि वास्तव में, बच्चे असमंजस में रहते हैं कि क्या सही है और क्या गलत ? उसके लिए भी कहीं-न-कहीं हम अभिभावक ही जिम्मेदार होते हैं क्योंकि कभी हम उन्हें वयस्कों की तरह बर्ताव करने को कहते और कभी उन्हें बच्चों में गिनती करते हैं | कई बार इस उम्र में बच्चे अर्थपूर्ण बात नहीं करते हैं इसका कारण शारीरिक विकास, व्यवहारिक ज्ञान एवं दिमागी विकास एक साथ जुड़ ना पाना हैं क्योंकि मस्तिष्क का एक भाग अभी भी विकसित हो रहा होता है इसलिए किशोरावस्था में बच्चे इतने दूरदर्शी नहीं होते हैं , वे तो बस प्रयोग करते रहते हैं जिससे कई बार वे मुसीबत में भी फँस जाते हैं ऐसी स्थिति में इस उम्र के उतार-चढ़ाव को अभिभावक एवं अध्यापकों को समझना होगा। जिस प्रकार अपने बच्चों के व्यवहार में जरा भी परिवर्तन दिखाई देने पर हम...

Love Learning vs Hate Learning

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                                     Love Learning Vs  Hate Learning       मैंने कक्षा में प्रवेश किया तो बच्चों ने उत्साह के साथ अभिवादन किया और पूछा, मैंम, आज के नए शब्द के लिए कोई संकेत दीजिए। मैं हतप्रभ रह गई कि मेरे इस तरह के प्रयोग करने पर बच्चे इतने   प्रभावित हो जाएँगे। मैंने पुनः नए शब्द के आधार पर एक सामान्य ज्ञान का प्रश्न बनाया जिसके तरह-तरह के उत्तर छात्र अपनी-अपनी सोच के आधार पर बता रहे थे। यह, वह   समय था जब नए सत्र में मैंने कक्षा की शुरुआत की थी और आज इस सत्र का आखिरी दिन था, मैंने अपनी कक्षा की अवधि पूर्ण की और बाहर निकल आई तभी पीछे से दो बच्चों ने आवाज लगाई, मैंने पीछे मुड़कर देखा और पूछा, “क्या बात है ? उनमें से एक रुँआसा होते हुए पूछा -“मैंम, क्या आप अगली कक्षा में नहीं पढ़ाएँगी¿ मैंने मुस्कुरा कर बोला, “नहीं । तो क्या हुआ, मैं इसी विद्यालय में हूँ जब मुझसे मिलना हो या कुछ भी समस्या हो मेरे पास आ सकते हो। दोनों आश्वस्त हो कर कक्षा में वापस...

Why Relationship building matters ? (in the school context) SHALINI TIWARI

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                                                                                     In my opinion, building relationships is a foundation of any school which first of all influences the environment of the school where a student  is the center point of the school. If he/she feels valued and connected to everyone in the school then he/she develops in every area. The child gets wings and this is possible only when a teacher connects with him/her emotionally, personally understands his needs, removes his/her doubts or understands his /her inclination and helps him/her in that direction. Then the child develops self-confidence, accepts challenges and achieves academic success. Often children who are introverts are not able to express their needs, due to which many times they...
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                            Like Vs Unlike प्रकृति ने सभी को स्वयं में विविधता पूर्ण बनाया है , सबकी अपनी पसंद और नापसंद होती है जिसमें कुछ पसंद तो आपकी व्यक्तिगत होती है और कुछ हम दूसरों के दबाव में आकर पसंद करने लगते हैं तो पसंद और नापसंद पर हम कुछ बिंदुओं द्वारा चर्चा करने का प्रयास करते हैं - चुनाव (Like) को महत्व देना हमें अपनी पसंद के साथ दूसरों की पसंद को भी महत्व देना चाहिए | जीवन में हमें क्या पसंद है यह हमारी रुचि और नजरिया तय करता है और आवश्यक नहीं है कि जो हमारी पसंद हो, हमारा नजरिया हो वह सभी का हो | समय के साथ अब हर व्यक्ति की पसंद को महत्व दिया जाने लगा है पहले जो अभिभावक ने कह दिया वही हमारी पसंद बन जाती थी | यदि वह हमारे अनुकूल है तो हम मन से स्वीकार कर लेते थे परंतु प्रतिकूल होने पर पसंद का स्थान आज्ञा ले लेता था | जैसे-जैसे समय बदला , सोच बदलती गई और सबकी पसंद को प्राथमिकता दी जाने लगी। किसी भी परिवार संस्था या समुदाय में जब तक हम दूसरों के पसंद को महत्व नहीं देते हैं वहां सदैव विचारों...